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इलेक्ट्रिक वाहन में कंपनियां, आवाज करने वाली मशीन लगाएं: ईयू

इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए वाहनों में आवाज पैदा करने वाली मशीन लगाना अनिवार्य हो जाएगा

इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए वाहनों में आवाज पैदा करने वाली मशीन लगाना अनिवार्य हो जाएगा

गाड़ियों से होने वाला शोर आमतौर पर परेशानी का सबब बनता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की समस्या इसके उलट है। ये वाहन काफी कम आवाज करते हैं और नजर न पड़े तो सड़कों पर मौजूद लोगों को पता ही नहीं चलता कि कोई वाहन उनके करीब से गुजर रहा है। यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने इस बात को गंभीरता से लिया है।

 ईयू इस संबंध में नए नियम जारी करने वाला है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए वाहनों में आवाज पैदा करने वाली मशीन लगाना अनिवार्य हो जाएगा।आवाज इतनी होनी चाहिए कि आस-पास के लोगों को पता चल सके कि कोई गाड़ी गुजर रही है। 
ये नियम चारपहिया ई-वाहनों के लिए आ रहे हैं। इनमें ऐसी मशीन लगाई जाएगी जो आम गाड़ियों की मशीन की तरह आवाज करे। इस मशीन को एकोस्टिक व्हीकल अलर्ट सिस्टम (एवास) कहलाएगी। जब गाड़ी रिवर्स की जा रही हो या 19 किलोमीटर प्रतिघंटा के कम की रफ्तार से गुजर रही हो तो इस मशीन का ऑन होना अनिवार्य होगा। ईयू का कहना है कि जब गाड़ी रिवर्स हो रही हो या कम रफ्तार से चल रही हो तो ज्यादा संभावना होती है कि आस-पास लोग मौजूद हों। उन्हें सावधान करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से सामान्य गाड़ियों की तरह आवाज आना जरूरी है। हालांकि, वाहन चालकों को यह अधिकार दिया जाएगा कि वे जरूरत पड़ने पर इस डिवाइस को डिएक्टिवेट कर सकें।

ब्रिटेन की एक चैरिटी संस्था ने ईयू से शिकायत की थी कि इलेक्ट्रिक वाहन आवाज नहीं करते हैं और ये सड़कों पर मौजूद आमलोगों के लिए जानलेवा हो सकते हैं। संस्था ने ईयू के नियमों का स्वागत किया है। लेकिन, साथ ही यह भी कहा है कि ये नियम सिलेक्टिव नहीं होने चाहिए। संस्था के मुताबिक अधिक स्पीड पर भी एवास सिस्टम ऑन रखने की बाध्यता होनी चाहिए। इससे लोगों को ज्यादा सुरक्षा मिलेगी। यूरोपियन यूनियन ने साल 2021 से सभी इलेक्ट्रिक कार के लिए एवास सिस्टम जरूरी कर दिया है। ईयू ने बयान जारी कर कहा, ‘ऐसा नहीं है कि सिर्फ नए मॉडल के लिए ये नियम जरूरी हैं। 2021 से बाजार में आने वाले पुराने मॉडल की नई गाड़ियों में भी इसे लगाना होगा।’ ब्रिटेन ने 2040 से देश में नई पेट्रोल-डीजल कार पर बैन लगाने जा रहा है। अभी वहां गैर पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की संख्या 6.6% है।

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