सिखों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को मनाने की तैयारी सरहद के दोनों और जोशो खरोश से चलती दिखाई जा रही हैं। पाकिस्तान और भारत को आपस में जोड़ने वाला कारीडोर नवम्बर के महीने में सिख श्रद्धालुओं के आने जाने के लिए बन कर तैयार हो जाएगा। पाकिस्तान के प्रधान मंत्री मंत्री इमरान खान की ओर से भारत के प्रधान मंत्री नरेंदर मोदी को उदघाटनी समारोह का आवाहन पत्र भेजा गया था, जिस को भारत ने प्रवान कर लिया. बता दें कि यह पहली इमरान-मोदी भेंट होगी। किरजी में शंगई कार्रपोरेशन समिट दौरान 13-14 जून को दोनों की भेंट हो सकती थी, किन्तु नई दिल्ली की ओर से पारस्परिक समझौते पर कोई रुच्ची नहीं दिखाई गई. अब यह देखना होगा कि क्या करतारपुर में दोनों देशों के पारस्परिक सबंधां को ले कर दोनों लीडर एक मंच पर बैठते हैं, अथवा नहीं।
इस तरह भारत के विदेश मंत्रालय से भी कोई पुख्ता जुआब प्राप्त नहीं हो पाया। माना जा रहा है कि जब तक इसलामाबाद आतंकवाद के मुद्दे को सख्ताई से नहीं लेता, तब तक पारस्परिक बातचीत का मार्ग खुलना मुश्किल है। पाकिसतानी मीडिया में कई तरह की अफवाहें भी फैलाईं जा रही हैं। 26 फरवरी को बालाकोट के टैरोरिसट टरेनिंग कैंप पर भारतीय हवाई सेना ने आक्रमण किया था। यह पहली बार था, जब भारत की हवाई सेना पाकिस्तान के अंदर घुस अपने मिशन को अंजाम देने में क़ामयाब हुई। जिस के पश्चात भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने अपने हवाई रास्ते एक दूसरे के लिए बंद कर दिये। 31 मई को पाकिस्तान ने 11 हवाई रास्तों में से सिर्फ 2 हवाई रास्ते भारत के लिए खुले छोड़े हैं। हवाई रास्तों को बंद करने से हवाई सेवायें अभिभूत हुईं हैं। पाकिस्तान की ओर से हवाई रास्ते खोलने में कोई रुच्ची नहीं दिखाई जा रही.
आने वाले समय में पाकिस्तान हवाई रास्ते खोलने का इछुक्क नजर नहीं आता। पाकिस्तान की इस नीती के कारण दिल्ली, लखनऊ और अमृतसर की हवाई सेवायें अभिभूत हुईं हैं। सफ़र में 70-80 मिनट की वृद्धि हुई है। इस के अलावा एअर इण्डिया 491 करोड़, इंडीगो 25, सपाईस जेट और गो एअर 30 करोड़ के घाटे में चलीं गयी हैं। पाकिस्तान के इस निर्णय से अमेरिका और यूरोप को जाने वाली कई उड़ानें ख़ारिज, मुल्तवी होने के अलावा हवाई टिकटों की कीमतों में भी वृद्धि हुई। कुल मिला कर देखा जाए तो 100 मिलीअन डॉलर का नुकसान और 400 उड़ानें प्रति दिन अभिभूत हुईं हैं। अब देखना यह है कि करतारपुर कारीडोर के उदघाटनी समारोह में दोनों देशों के लीडर किस करवट बैठते हैं और पारस्परिक नीतिओं के कारण विश्व सपाट हवाई सेवा के होने वाले नुकसान को कैसे सुलझाते हैं ?
करतारपुर कारीडोर के उदघाटनी समारोह में लीडर किस करवट बैठेंगे?
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