समाज सेवी जसप्रीत सिंह पंजाब के उन काले दिनों की गवाही भरते हुए बात करते हैं, जब उन्होंने पंजाब में शरेआम बेकसूर लोगों को गोलियों से छलणी होते हुए देखा। शाम 6 बजे तक पंजाब में सुनसान फैल जाती थी, लोग घरों को अंदर से ताले लगा लेते थे। बुरे से बुरे हालातों में भी पंजाबी घरों के बाहर निकलने से टलते थे, क्युंकि घर के अंदर के हर बुरे हालातों से बदतर हालातों के सामना घर की दहिलीज फांद कर करना पड़ सकता था, किन्तु आज पंजाब के हालात कुछ और कहते हैं। सूर्य के रहते सहमा हुआ पंजाब आज आधी रात को भी टिमटिमाते हुए तारों की तरह चमकता है। यहाँ तक कि उन दिनों में श्री दरबार साहब नतमसतक होने वाले श्रद्धालुओं की गिनती सैंकड़ों में रह गयी थी, किन्तु अब संपूर्ण रात श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। जिकरयोग है कि कुछ घंटों खुलने वाला शहर अमृतसर अब 24 घंटे जागने वाला शहर बन चुका है। पारस्परिक भाईचारा पंजाब में शिखरों पर है। जिसकी मिसाल पंजाब के धार्मिक स्थानों पर देखी जा सकती है, जहाँ दरबार साहब में नतमसतक होने वाले हिंदुओं की गिनती असंख्य है, वहीं दुर्गयाना मंदिर के दर्शनों के लिए जाने वाले सिख भाईचारे का तांता लगा रहता है। पंजाब का यह माहौल जहाँ पारस्परिक सांझ दर्शाता है, वहां धार्मिक भावनाओं का मेलजोल विश्व सपाट धार्मिक एकता की कसौटी पर अपनी छाप छोड़ता है। इन पदचिन्हों तक पहुँचने के लिए पंजाब की ओर से बड़ी हिम्मत की गई. काले दिनों को फांद कर भविष्य की रोशनी में युवक बड़ी उम्मीदों से आगे बढ़ रहें हैं. निःसंदेह पंजाब के माहौल को खराब करने के लिए विदेशी ताकतें बेचैन हैं, किन्तु पंजाब के लोग जागरूक और बुद्धिमान हो चुके हैं। अब वह किसी भी पारस्परिक मत्तभेद के प्रापोगंडे को अपने पर हावी नहीं होने देंगे और सहिणशीलता से हर उस माहौल का सामना करने के लिए तत्पर हैं, जो पंजाब की आबो हवा में अलगाववाद का ज़हर घोलने की कोशिश करेंगे।
पंजाब आज आधी रात को भी टिमटिमाते हुए तारों की तरह चमकता है
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