धरती का तापमान दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-2019 के बीच औसत वैश्विक तापमान 2011-15 की तुलना में 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया। ‘यूनाइटेड इन साइंस’ नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया, “वर्तमान में वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक काल (1850-1900) के मुकाबले 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है और वर्ष 2015-19 में तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक हो गया। इसके अतिरिक्त, पिछले 40 साल के दौरान आर्कटिक में बर्फ हर दशक 12% की दर से पिघल रही है और 2015-19 के बीच इसमें और बढ़ोतरी हुई।”
रिपोर्ट के मुताबिक, अंटार्कटिक में बर्फ की चादरें 1979 और 2017 के बीच अधिक तीव्र दर से पिघली है। वहीं, 2015-19 के दौरान ग्लेशियर में पिछले अन्य पांच साल के मुकाबले सबसे अधिक दर से कमी आई। कार्बन डाईऑक्साइड में कमी आने के बजाय 2018 में यह 2% बढ़ गई। यह 37 बिलियन टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस परिवर्तन को रोकने में पूरी दुनिया विफल हो रही है। इसमें पाया गया कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि कार्बन उत्सर्जन का स्तर क्या होना चाहिए, यह तय नहीं हो पाया है। हालांकि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के समान दर पर नहीं बढ़ रहे हैं। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस लगातार सभी देशों से बढ़ते ग्रीनहाउस गैंसों में कटौती करने का अनुरोध करते रहे हैं।