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रेप की सज़ा का कानून बदलने जा रही है सरकार?

लाहौर-सियालकोट हाइवे पर गैंग रेप की हालिया घटना ने पूरे पाकिस्तान में गुस्से की आग भड़का दी. लोग सड़कों पर उतरे और दोषियों को सख्त सज़ा देने की मांग (Protest Against Government) कर रहे हैं. यहां तक कि अपराधियों को सबके सामने चौराहे पर फांसी पर लटका दिए जाने (Public Execution) की मांग की जा रही है. महिला अधिकार (Women Rights) समर्थक संगठनों ने इस गुस्से को जायज़ बताया है, तो पाकिस्तान की इमरान खान सरकार (Iman Khan Government) इस मामले में और भयानक कानून बनाए जाने की तरफ बढ़ती दिख रही है. जानिए पूरा माजरा क्या है.
अस्ल में, पाकिस्तान में करीब डेढ़ हफ्ते पहले लाहौर से गुजरांवाला खुद कार चलाकर जा रही एक महिला के साथ सियालकोट हाईवे पर टोल प्लाज़ा के बाद लुटेरों ने पकड़ लिया. महिला और उसके बच्चों को बंदूक की नोक पर खेत में ले जाकर लुटेरों ने बच्चों के सामने महिला के साथ बलात्कार को अंजाम दिया. इससे कुछ ही रोज़ पहले पाकिस्तान में पांच वर्षीय बच्ची के साथ रेप की घटना से पहले ही लोग गुस्से में थे इसलिए नाराज़गी और भड़क गई. अब जानिए​ कि किस तरह की मांगों के बाद पाक सरकार रेप कानून कितना सख्त कर सकती है.
भारत में करीब 8 साल पहले जिस तरह निर्भया गैंग रेप केस को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे, तकरीबन उसी तर्ज़ पर पाकिस्तान में लोग नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं. एक तरफ, सोशल मीडिया पर #WarAgainstRape और #HangRapistsPublicly जैसी मांगें और विचार रखे जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ सड़कों पर नाराज़गी जताने उमड़ी भीड़ भी दोषियों को खुलेआम फांसी देने की मांग कर रही है.
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प्रदर्शकारियों की प्रमुख मांगें यही हैं कि अपराधियों को फौरन सज़ा दी जाए और सख्त भी. वहीं, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह गुस्सा जायज़ है लेकिन साथ ही, पाकिस्तान सरकार को महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून में सुधार भी करने चाहिए. विशेषज्ञों ने इस घटना को सरकार के लिए ‘जागने का सही समय’ करार दिया है.
वॉर अगेन्स्ट रेप नामक संस्था का कहना है कि पाकिस्तान में अन्य अपराधों की तुलना में रेप के मामलों में फैसलों और सज़ा मिलने की दर बहुत कम है. सिर्फ 10 फीसदी मामलों में ही सज़ा मिल पाती है. रेप केसों में 70 फीसदी गवाह तोड़ दिए जाते हैं. कुल मिलाकर देश बलात्कारियों को बचाने वाला सिस्टम बना चुका है, पीड़ितों को नहीं.
इस संस्था का कहना है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में त्वरित न्याय व्यवस्था की ज़रूरत बनी हुई है. वहीं, बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में रेप के 100 में 95-96 मामलों में सज़ा नहीं हो पाती. यह भी कहा गया है कि वास्तविक आंकड़ा और भयानक हो सकता है, यह तो सरकार ने कबूला है कि देश में हर साल 5000 रेप केस सामने आते हैं, जिनमें से सिर्फ 5 फीसदी मामलों में सज़ा मिल पाती है.
जनता की मांगों के बाद एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि वो बलात्कारी को सज़ा के तौर पर नपुंसक बनाए जाने के पक्ष में हैं. बीबीसी की ही रिपोर्ट के मुताबिक पाक का केंद्रीय मंत्रिमंडल भी इस बारे में सोच रहा है कि बलात्कारी के लिए खुलेआम फांसी की सज़ा का प्रावधान किया जाए या इंजेक्शन के ज़रिये उसे नपुंसक बनाए जाने का.
जनता के गुस्से और सरकारी स्तर पर कानूनी बदलाव को लेकर बनी हुई कश्मकश के बीच विशेषज्ञ बड़े पैमाने पर सुधारों की बात कह रहे हैं. पाकिस्तान में महिलाओं के सामने ऑनर किलिंग, स्कूल जाते वक्त ईव टीजिंग, जेलों में शोषण, अस्पतालों में मनाही और काम की जगहों पर सेक्सुअल हैरसमेंट के साथ ही रेप में पुलिस के शामिल होने जैसे संकट पेश आते हैं. मानवाधिकार वॉच का कहना है कि पाक को इस पूरे माहौल को बदलना चाहिए.
कई विशेषज्ञ शैक्षणिक स्तर पर व्यापक सुधार की बात कहते हैं तो कुछ केन्या की तर्ज पर लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग को अनिवार्य किए जाने तक की बात. वहीं, पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार वुसअतुल्लाह खान के मुताबिक बच्चों को गुड टच बैड टच का फर्क समझाने, महिलाओं की इज़्ज़त करने के सबक पढ़ाने, विशेष कोर्ट में ऐसे अपराधों की सुनवाई करने, गवाहों को सुरक्षा देने और रेपिस्टों को बचाने वाली पुलिस को न बचाने जैसे सुधारों की ज़रूरत बताते हैं.

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