शैक्षणिक संस्थाओं के परिसर में हिजाब पहनने पर लगाए गए प्रतिबंध के फ़ैसले को कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा बरकरार रखने के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, सिखों के पगड़ी पहनने की तुलना हिजाब से नहीं की जा सकती है.
पांच जजों की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि पगड़ी और कृपाण सिखों के लिए अनिवार्य हैं. इसलिए सिखों के पगड़ी पहनने की हिजाब से तुलना अनुचित है क्योंकि सिख धर्म में पंचक अनिवार्य है.
याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील निज़ामुद्दीन पाशा ने अपनी दलीलों में कृपाण और पगड़ी की तुलना हिजाब से करने की कोशिश की थी.
एडवोकेट पाशा ने कहा कि हिजाब पहनना मुस्लिम लड़कियों की धार्मिक रीति रिवाजों का हिस्सा है. उन्होंने ये भी पूछा कि क्या हिजाब पहनने वाली लड़कियों को स्कूल आने से रोका जा सकता है? उन्होंने ये दलील भी दी कि सिख छात्रों को पगड़ी पहनने की इजाजत है.
निज़ामुद्दीन पाशा ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि सांस्कृतिक रीति रिवाज़ों का भी संरक्षण किया जाना चाहिए.
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि कृपाण को संविधानिक संरक्षण मिला हुआ है इसलिए दोनों धर्मों के रीति-रिवाज़ों की तुलना न की जाए.