कोवैक्स वैश्विक टीका साझाकरण कार्यक्रम के माध्यम से भारत को मोदेरना के कोविड-19 टीके (Moderna Corona Vaccine) की 75 लाख खुराकों की पेशकश की गई है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि देश में टीका कब आएगा. पिछले महीने भारत के औषधि नियंत्रक ने मॉडर्ना के टीके को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी. हालांकि वैक्सीन से किसी तरह के साइड इफेक्ट की सूरत में क्षतिपूर्ति के नियम से सुरक्षा पर अभी सहमति नहीं बनी है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक यह मसला सुलझ पाएगा?
जब दवाओं या वैक्सीन की बात आती है, तो यह मानकर चला जाता है कि कड़े परीक्षणों के बावजूद वे कुछ मामलों में प्रतिकूल असर डाल सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि सामान्य रूप से व्यापार के परिदृश्य में जो लोग अपने निर्माण, वितरण और प्रबंधन में शामिल होते हैं, वे आमतौर पर इस खतरे को कवर करने के लिए बीमा कवर प्राप्त कर सकते हैं.
लेकिन कोविड-19 महामारी को देखते हुए जिस तेजी से कोरोना वायरस के खिलाफ टीके तैयार किए गए हैं, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि शुरू से ही सामान्य बीमा उपलब्ध नहीं होगा. डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस तरह के कवरेज की कमी जीवन-रक्षक टीकों तक वैश्विक पहुंच को सीमित या विलंबित कर सकती है क्योंकि निर्माता इस खतरे के संबंध में बीमा देने के बिना टीके देने के इच्छुक नहीं हैं.
वैक्सीन निर्माता मूख्य रूप से इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जो देश उनसे टीके मांग रहे हैं, वह वैक्सीन से किसी तरह साइड इफेक्ट या जनहानि होने की सूरत में क्षतिपूर्ति उनसे न मांगें बल्कि खुद मुआवज़ा आदि दें. डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि 2009 में एच1एन1 महामारी के समय भी ऐसी ही स्थिति थी.
क्षतिपूर्ति का अर्थ होगा मुकदमों से सुरक्षा और टीकाकरण के बाद किसी भी प्राप्तकर्ता को प्रतिकूल असर होने की स्थिति में मुआवजे का भुगतान करने की किसी भी आवश्यकता से छूट होता है.
सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह टीका निर्माता मॉडर्ना के साथ सक्रियता से काम कर रही है, ताकि यह देखा जा सके कि देश में उसका टीका कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है. पिछले महीने भारत के औषधि नियंत्रक ने मॉडर्ना के टीके को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी. सूत्रों ने बताया था कि कोवैक्स वैश्विक टीका साझाकरण कार्यक्रम के माध्यम से भारत को मॉडर्ना के कोविड-19 रोधी टीके की 75 लाख खुराकों की पेशकश की गई है.
सूत्रों के अनुसार अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में टीके कब उपलब्ध होंगे, क्योंकि ‘बातचीत अब भी जारी है और हानि से सुरक्षा के मुद्दे पर सहमति नहीं बनी है. देश में मॉडर्ना के टीके की उपलब्धता पर, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल ने हाल में कहा था कि सरकार मॉडर्ना के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है ताकि यह देखा जा सके कि इसका टीका देश में कैसे आयात किया जा सकता और उपलब्ध कराया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार ने हानि से सुरक्षा अनुबंध को अंतिम रूप देने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं और इसे अमेरिकी दवा निर्माता को अवलोकन के लिए भेज दिया है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि फाइजर वैक्सीन को 96 देशों में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है, जबकि मॉडर्ना वैक्सीन को 63 में इस्तेमाल किया गया है. उन सभी देशों में जहां इन टीकों का उपयोग किया जा रहा है, निर्माताओं को अधिकारियों से क्षतिपूर्ति प्राप्त होने की सूचना है. वर्तमान में उपयोग किए जा रहे किसी भी टीके को डब्ल्यूएचओ से पूर्ण मंजूरी प्राप्त नहीं हुई है.
कोविड-19 : सरकार दे चुकी है मोदेरना को मंजूरी
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