वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की बैठक में भले ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा गया हो लेकिन फिर भी इसे इमरान खान सरकार के लिए राहत नहीं माना जा रहा है. सच तो ये है कि सिर्फ तुर्की और मलेशिया को छोड़ दें तो FATF के बाकी सभी सदस्य देशों ने पाकिस्तान को टेरर फंडिंग और आतंकी सरगनाओं पर कार्रवाई जैसी ज़रूरतों को सख्ती से अमल में लाने की आखिरी चेतावनी भी जारी कर दी है.
भारतीय दूतावास के सूत्रों के मुताबिक FATF के सदस्य देशों ने बैठक में ही पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि उसे 13 सूत्रीय प्रोग्राम को जल्द से जल्द अमल में लाना होगा नहीं तो परिणाम बुरे हो सकते हैं. सिर्फ तुर्की और मलेशिया ने ही मीटिंग में ये कहा कि पाकिस्तान इन शर्तों को मानने की दिशा में आगे बढ़ रहा है और बीते दिनों पाकिस्तान में हुई गिरफ्तारियों और लीडरशिप के बयानों से ये साबित भी होता है. दोनों ही देशों ने पाकिस्तान के प्रति नरमी दिखाने के लिए भी कहा.
तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगान ने पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए ये दावा किया कि तुर्की की एजेंसियां पाकिस्तान की आतंकवाद से निपटने में पूरी मदद कर रही हैं. मलेशिया ने भी कहा कि आतंकियों के खिलाफ इमरान सरकार के प्रयास सराहनीय हैं. हालांकि FATF के अन्य देशों ने पाकिस्तान को जून 2020 तक शर्तों को अमल में लाने की हिदायत दी है नहीं तो उसके ब्लैकलिस्ट हो जाने की आशंका बेहद ज्यादा है. पाकिस्तान ने इस मीटिंग में कहा कि भारत ने उसके खिलाफ दुष्प्रचार किया है कि यूएन द्वारा घोषित 130 आतंकी सरगना पाकिस्तान में मौजूद हैं.
पाकिस्तान की तमाम दलीलों के बावजूद FATF ने इमरान सरकार से धनशोधन और आतंकवाद को आर्थिक मदद मुहैया कराने में शामिल लोगों के खिलाफ कानून कड़े करने के लिए समयसीमा तय कर दी है. इंटरनेशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (ICRG) काफी समय से पाकिस्तान से हो रही टेरर फंडिग पर नज़र रखे हुए है. बता दें कि पीएम इमरान खान भी लगातार इस बात का खंडन कर रहे हैं कि अब पाकिस्तान आतंकियों के लिए पनाहगाह नहीं है. इमरान ने बीते दिनों अफगानिस्तान को भरोसा दिलाते हुए कहा था कि- ‘मैं आपको बता सकता हूं कि यहां कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं है.’ सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस भी मौजूद थे.
FATF की पाकिस्तान को आखिरी चेतावनी- जून 2020 तक सुधर जाओ
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