कोरोना संक्रमण ने मिडिल ईस्ट के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है. तेल पर निर्भर अरब देशों की अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति और कमज़ोर हुई है. ऐसे में वहां की सरकारें प्रवासी कामगारों को लेकर नियम सख़्त कर रही हैं ताकि स्थानीय लोगों को रोज़गार मिल सके. इसी क्रम में कुवैत नया कानून लेकर आ रहा है जिसका असर 8 लाख से ज्यादा भारतीयों पर पड़ सकता है. बेरोजगारी कम करने के लिए कुवैत सख्त कदम उठाने जा रहा है.
कुवैत टाइम्स के मुताबिक कुवैत की नेशनल असेंबली ने प्रवासी कामगारों की संख्या सीमित करने के लिए मसौदा तैयार कर लिया है. ये कानून कुवैत में प्रवासी कामगारों की संख्या सीमित करेगा और इसे आने वाले 6 महीने के भीतर ही लागू कर दिया जाएगा. पहले बताया जा रहा था कि कानून में वीजा रद्द करने जैसी बात नहीं है लेकिन इसके नए मसौदे में कुछ ख़ास वीज़ा की मान्यता रद्द करने का भी प्रस्ताव है. रिपोर्ट के मुताबिक इस क़ानून की दस अलग-अलग श्रेणियों में कोटा सिस्टम पर छूट दी जाएगी. यह छूट घरों में काम करने वालों, मेडिकल स्टाफ़, शिक्षक और जीसीसी के नागरिकों को मिलेगी.
इस नए कानून के मुताबिक अब लोग यात्रा वीज़ा को वर्क वीज़ा में तब्दील करने की सुविधा का भी लाभ नहीं उठा पाएंगे, इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किये जाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा कोई डोमेस्टिक हेल्पर प्राइवेट या ऑयल सेक्टर में काम नहीं कर सकता है. कुवैत प्रवासियों की संख्या कम करने के लिए कई स्तरों पर काम कर रहा है. पिछले हफ़्ते कुवैत ने घोषणा की थी कि बिना यूनिवर्सिटी की डिग्री के 60 साल से ऊपर की उम्र वालों को वर्क वीज़ा नहीं मिलेगा.
कुवैत के इस फैसले का असर सबसे ज्यादा भारतीयों पर पड़ने वाला है. लार्सन एंड टूर्बो में चीफ़ एग्जेक्युटिव प्रतीक देसाई ने बीबीसी से बताया कि वो 25 सालों से कुवैत में रह रहे हैं, लेकिन ये नया कानून उन्हें भी डरा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने के बाद आठ लाख भारतीयों को कुवैत छोड़ना पड़ सकता है. 40 लाख की आबादी में यहां 70 फ़ीसदी प्रवासी हैं. इस बिल का लक्ष्य प्रवासियों की तादाद 30 फ़ीसदी करना है.
इस नए कानून में कुवैत ने कोटा सिस्टम लागू करने की योजन बनाई है जिसके तहत भारतीयों को नौकरी के लिए सबसे ज्यादा 15% रिजर्वेशन दिया जाने वाला है. हालांकि 70 फ़ीसदी प्रवासी आबादी को घटा कर 30% करने के क्रम में भारतीय इसके सबसे बड़े शिकार होंगे. कुवैत की 40 लाख आबादी में 10 लाख से भी ज्यादा भारतीय रहते हैं. ऐसे में 15% को रहने भी दिया जाएगा तो करीब 8 लाख से ज्यादा के वीजा कैंसिल हो जाना तय माना जा रहा है. प्रवासियों में भारतीय सबसे ज़्यादा हैं.
भारत के अलावा यहां पाकिस्तान, फ़िलीपींस, बांग्लादेश, श्रीलंका और मिस्र के लोग हैं. भारत सरकार भी कुवैत के इस बिल को लेकर चिंतित है. पिछले महीने भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, ‘भारतीयों की खाड़ी के देशों में प्रवासियों की अहम भूमिका रही है और इनके योगदान को वहां की सरकारें स्वीकार भी करती हैं. हमने कुवैत से इस मसले पर बात की है.’ कुवैत से भारतीय कमाई कर अपने परिजनों को भेजते हैं और यह भारत के लिए विदेशी मुद्रा का अहम स्रोत रहा है. प्यू रिसर्च सेंटर के डेटा के अनुसार 2017 में कुवैत से भारतीयों ने 4.6 अरब डॉलर भारत भेजे थे. कुवैत में क़रीब तीन लाख भारतीय ड्राइवर, रसोइए और केयरटेकर का काम करते हैं.
8 लाख भारतीयों का वीजा हो सकता है रद्द?
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