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प्यार में जुनूनी हुए आशिक की कहानी है कबीर सिंह


शाहिद कपूर की कड़ी मेहनत साफ दिखती है

कबीर सिंह तेलुगु फिल्म अर्जुन रेड्डी की हिंदी रीमेक है। ओरिजिनल फिल्म को डायरेक्ट करने वाले संदीप वांगा ने ही कबीर सिंह का निर्देशन किया है। यह एक ऐसे होनहार मेडिकल स्टूडेंट की जिंदगी बताती है, जो एक लड़की के चक्कर में अपना जीवन, करियर सब बर्बाद कर लेता है।
कहानी कबीर सिंह (शाहिद कपूर) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो प्रतिभाशाली है और दिल्ली मेडिकल कॉलेज को इसलिए चुनता है, क्योंकि उसे वहां की सर्दी बहुत पसंद है। कबीर का किरदार काफी रोचक है। वह एक रईस खानदान से ताल्लुक रखता है और हमेशा वही करता है, जो उसे सही लगता है। जब कॉलेज के डीन (आदिल हुसैन) सलाह देते हैं कि उसे अपने गुस्से पर काबू करना चाहिए तो वह तर्क देता है कि उसकी लड़ाई नाइंसाफी के खिलाफ है। 

कबीर को अपने कॉलेज में आई 19 साल की मेडिकल स्टूडेंट प्रीति (कियारा आडवाणी) से पहली नजर में प्यार हो जाता है। प्यार इस हद तक बढ़ जाता है कि कबीर प्रीति को लेकर जुनूनी हो जाता है। जब प्रीति का परिवार कबीर को स्वीकार करने से इनकार कर देता है तो वह आपा खो बैठता है। बात हद से ज्यादा बढ़ जाती है और कबीर के पिता (सुरेश ओबेरॉय) उसे घर से निकाल देते है। कबीर का दोस्त शिवा (सोहम मजूमदार) हर हाल में उसका साथ देता है।  कबीर के करीबी लोग बार-बार उसे समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह खुद को बर्बाद कर लेता है। कबीर में हीरो जैसी कोई बात नहीं। वो रईस बाप का बिगड़ा हुआ बेटा है और गर्लफ्रेंड को अपनी संपत्ति समझता है। वांगा यह कहीं भी नहीं जताते कि उनका हीरो परफेक्ट है। 

ओरिजिनल फिल्म के हीरो विजय देवरकोंडा जैसी पर्सनैलिटी और एटीट्यूड शाहिद कपूर में नहीं है। फिर भी उनकी कड़ी मेहनत साफ दिखती है। उन्हें फिल्म में एक यंग स्टूडेंट और फिर शराबी डॉक्टर की भूमिका निभानी थी, जो उन्होंने बखूबी निभाई है।  कियारा आडवाणी ने अच्छा सपोर्ट दिया है, लेकिन वो19 साल की मासूम लड़की नहीं दिखती हैं। सपोर्टिंग कास्ट जैसे सोहम मजूमदार, सुरेश ओबेरॉय और निकिता दत्ता ने जबर्दस्त काम किया है। फिल्म का म्यूजिक बेहतरीन है। 

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